आम में 3 काम आज करे । आपको बहुत फायदा होगा

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आम के बागों में जाला बनने की समस्या का प्रभावी प्रबंधन: समाधान एवं रणनीतियाँआम (Mangifera indica) को भारत में “फलों का राजा” कहा जाता है और यह हमारे देश की कृषि एवं अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में आम के बागों में जाला बनने की समस्या ने किसानों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। इस समस्या का मुख्य कारण लीफ वेबर कीट (Orthaga euadrusalis)है। पहले यह कीट कम महत्वपूर्ण माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी गतिविधियों और नुकसान के कारण यह आम का एक प्रमुख कीट बन गया है। बिहार सहित कई राज्यों में यह समस्या आम की उत्पादकता और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। समस्या का स्वरूप और कीट की पहचानयह कीट विशेष रूप से जुलाई से दिसंबर तक सक्रिय रहता है। यह आम के बागों को निम्नलिखित तरीकों से नुकसान पहुँचाता है:

मादा कीट पत्तियों पर अंडे देती है।

2. लार्वा का विकास:

अंडे से निकला लार्वा पत्तियों की एपिडर्मल सतह को काटकर भोजन करना शुरू करता है।

3. जाले का निर्माण

:दूसरे और तीसरे चरण के लार्वा पत्तियों को मोड़कर जाले बनाते हैं।

4.आम पत्तियों का पूर्ण विनाश:

लार्वा पत्तियों को पूरी तरह खा जाते हैं, केवल मिडरिब और नसों को छोड़ देते हैं। इस कीट की गतिविधियाँ विशेष रूप से मई में नई पत्तियों के विकास के समय और उन बागों में अधिक होती हैं जहाँ प्रबंधन अपर्याप्त होता है।

लीफ वेबर कीट का प्रबंधनलीफ वेबर कीट के प्रबंधन

के लिए जैविक, यांत्रिक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग करना आवश्यक है। 1. यांत्रिक प्रबंधनबागों में नियमित निरीक्षण करें। संक्रमित पत्तियों और जालों को किसी उपकरण की सहायता से काटकर नष्ट करें। इन्हें जलाने से कीट की जनसंख्या में कमी आती है। 2. रासायनिक प्रबंधनरासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कीट नियंत्रण के लिए प्रभावी साबित होता है। पहला छिड़काव:लैम्ब्डासाइहलोथ्रिन 5 ईसी @ 2 मिली प्रति लीटर पानी। दूसरा छिड़काव:15-20 दिनों के बाद लैम्ब्डासाइहलोथ्रिन 5 ईसी (2 मिली/लीटर पानी) या क्विनालफॉस 25 ईसी (1.5 मिली/लीटर पानी)। अन्य विकल्प:इंडोक्साकार्ब @ 1.5 मिली प्रति लीटर पानी। या एम्मामेक्टिन बेंजोएट @ 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी। 3. जैविक प्रबंधनरासायनिक उपायों के साथ जैविक विकल्पों का उपयोग करने से पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सकता है। बेसिलस थुरिंजिएन्सिस (Bacillus thuringiensis): यह एक जैविक कीटनाशक है जो कीट के लार्वा को नष्ट करने में सहायक है।इसका उपयोग विशेष रूप से व्यवस्थित रूप से प्रबंधित बागों में किया जाना चाहिए। 4. समेकित प्रबंधन (IPM)जैविक और रासायनिक प्रबंधन का संयोजन करें। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय करें ताकि प्रभाव अधिक समय तक बना रहे। पत्तियों पर कीटों की गतिविधियों का नियमित निरीक्षण करें। निवारक उपायबागों की नियमित सफाई और रखरखाव सुनिश्चित करें। पौधों को संतुलित मात्रा में खाद और पानी दें ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। बागों में रोग और कीट प्रबंधन के लिए समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करें। संभावित प्रभाव और लाभउपरोक्त प्रबंधन रणनीतियों का प्रभावी उपयोग करने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं जैसे….1. आम के बागों में लीफ वेबर कीट की जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। 2. पत्तियों और पेड़ों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। 3. आम की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी। 4. किसानों की आय और संतोष में वृद्धि होगी। सारांश आम की खेती में जाला बनाने वाले कीट की समस्या का समय रहते समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए यांत्रिक, जैविक, और रासायनिक उपायों को समेकित रूप से अपनाना चाहिए। किसानों को इन प्रबंधन उपायों की जानकारी प्रदान करना और उनके बागों की नियमित निगरानी करना इस समस्या को जड़ से समाप्त करने में सहायक होगा।

प्रो. (डॉ.) SK Singh SK Singh Dr RPCAU Pusa Expert advice by SK Singh विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर, बिहार#मांगो #webberkeet #mango #orthaga #viralpost #viralpost2024シ

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